भारत का पहला Frozen Zoo: दार्जिलिंग में क्यों है खास?

पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क: दार्जिलिंग का विशेष चिड़ियाघर

पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क, जिसे दार्जिलिंग चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थित एक विशेष प्राणी उद्यान है। यह चिड़ियाघर न केवल हिमालयी वन्यजीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह भारत का पहला ‘फ्रोजन जू’ भी है, जो जेनेटिक संरक्षण के लिए डीएनए को सुरक्षित रखता है।

विशेषताएं:

  1. स्थान और ऊंचाई:
    • यह चिड़ियाघर दार्जिलिंग में 7,000 फीट (2,134 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे भारत का सबसे ऊंचा जूलॉजिकल पार्क बनाता है.
  2. संरक्षण कार्य:
    • यहां लाल पांडा, हिम तेंदुआ, तिब्बती भेड़िया और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रम चलाए जाते हैं.
  3. फ्रोजन जू:
    • यह चिड़ियाघर हिमालयी वन्यजीवों के डीएनए को तरल नाइट्रोजन में संरक्षित करता है, जो विलुप्त होने की कगार पर खड़ी प्रजातियों के लिए एक सुरक्षा विकल्प प्रदान करता है.
  4. अंतरराष्ट्रीय मान्यता:
    • इस चिड़ियाघर को वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम (WAZA) द्वारा मान्यता प्राप्त है और इसके रेड पांडा कार्यक्रम को 2024 WAZA संरक्षण पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट चुना गया है.

सामान्य प्रश्न:

  1. पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क की स्थापना कब हुई थी?
    • इस प्राणी उद्यान की स्थापना 14 अगस्त 1958 को हुई थी और बाद में 1975 में इसका नाम बदलकर पद्मजा नायडू के नाम पर रखा गया था.
  2. यह चिड़ियाघर क्यों विशेष है?
    • यह चिड़ियाघर न केवल हिमालयी वन्यजीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत का पहला फ्रोजन जू भी है, जो जेनेटिक संरक्षण के लिए डीएनए को सुरक्षित रखता है.
  3. क्या यह चिड़ियाघर पर्यटकों के लिए खुला है?
    • हां, यह चिड़ियाघर पर्यटकों के लिए खुला है और प्रति वर्ष लगभग तीन लाख दर्शकों को आकर्षित करता है.
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